1. प्रेरक शब्दों में बहुत ताकत है
दो पक्के दोस्त थे। एक की उम्र 11 साल थी, और दूसरे की 7 साल थी । एक दिन खेलते-खेलते बड़ा वाला लड़का कुएं में गिर गया। छोटे लड़के ने इधर उधर देखा तो उनकी मदद करने वाला कोई नहीं था।
तब छोटे ने पास पड़ी बाल्टी कुएं में डाल दी और बड़े लड़के को उसे पकड़ने के लिए कहा। फिर छोटा लड़का उसे ऊपर खींचने लगा। बहुत कोशिश करने के बाद, अपनी पूरी ताकत झोंककर, छोटे ने बड़े कुएं से बाहर निकाल दिया।
दोनों ने सोचा कि गांव जाकर यह बात सबको बताएंगे, तो सब नाराज होंगे। लेकिन हुआ उल्टा। सभी ने उनकी बात को मजाक मानकर कहा एक 7 साल का छोटा-सा लड़का, इतने बड़े लड़के को खींचकर कैसे निकाल सकता है?
लेकिन गांव के एक होशियार बुजुर्ग को बच्चों की बात पर यकीन था। सभी को हैरानी हुई।
उन्होंने बुजुर्ग से पूछा, ‘आपको क्यों लगता है कि बच्चे सच बोल रहे हैं और ये छोटा बच्चा ऐसा कर सकता है?’ फ़िर बुजुर्ग व्यक्ति बोला, ‘छोटा बच्चा ऐसा कर पाया क्योंकि तब उसके आसपास कोई यह कहने के लिए नहीं था कि तुम यह नहीं कर सकते। यहां तक कि उसने भी खुद से ऐसा नहीं कहा।’
सीख :शब्दों में बहुत ताकत होती है। ये इतना प्रेरित कर सकते हैं कि व्यक्ति असंभव को संभव कर दे।
2. हीरों से भरा खेत
हफ़ीज अफ्रीका का एक किसान था। वह अपनी जिंदगी से खुश और संतुष्ट था। हफ़ीज खुश इसलिए था कि वह संतुष्ट था। वह संतुष्ट इसलिए था क्योंकि वह खुश था।
एक दिन एक अक्लमंद आदमी उसके पास आया। उसने हफ़ीज को हीरों के महत्त्व और उनसे जुड़ी ताकत के बारे में बताया। उसने हफीज से कहा, “अगर तुम्हारे पास अंगूठे जितना भी बड़ा हीरा हो, तो तुम पूरा शहर खरीद सकते हो, और अगर तुम्हारे पास मुट्ठी जितना बड़ा हीरा हो तो तुम अपने लिए शायद पूरा देश ही खरीद लो।”
वह अक्लमंद आदमी इतना कह कर चला गया। उस रात हफ़ीज सो नहीं सका । वह असंतुष्ट हो चुका था, इसलिए उसकी खुशी भी खत्म हो चुकी थी। दूसरे दिन सुबह होते ही हफ़ीज ने अपने खेतों को बेचने और अपने परिवार की देखभाल का इंतजाम किया, और हीरे खोजने के लिए रवाना हो गया।
वह हीरों की खोज में पूरे अफ्रीका में भटकता रहा, पर उन्हें पा नहीं सका। उसने उन्हें यूरोप में भी ढूँढा, पर वे उसे वहाँ भी नहीं मिले। स्पेन पहुँचते-पहुँचते वह मानसिक, शारीरिक और आर्थिक स्तर पर पूरी तरह टूट चुका था। वह इतना मायूस हो चुका था कि उसने बार्सिलोना (Barcelona) नदी में कूद कर खुदकुशी कर ली।
इधर जिस आदमी ने हफ़ीज के खेत खरीदे थे, वह एक दिन उन खेतों से होकर बहने वाले नाले में अपने ऊंटों को पानी पिला रहा था। तभी सुबह के वक़्त उग रहे सूरज की किरणे नाले के दूसरी ओर पड़े एक पत्थर पर पड़ी, और वह इंद्रधनुष की तरह जगमगा उठा। यह सोच कर कि वह पत्थर उसकी बैठक में अच्छा दिखेगा, उसने उसे उठा कर अपनी बैठक में सजा दिया।
उसी दिन दोपहर में हफ़ीज को हीरों के बारे में बताने वाला आदमी खेतों के इस नए मालिक के पास आया। उसने उस जगमगाते हुए पत्थर को देख कर पूछा, “क्या हफ़ीज लौट आया?” नए मालिक ने जवाब दिया, “नहीं, लेकिन आपने यह सवाल क्यों पूछा?” अक्लमंद आदमी ने जवाब दिया, “क्योंकि यह हीरा है। मैं उन्हें देखते ही पहचान जाता हूँ।”
नए मालिक ने कहा, “नहीं, यह तो महज एक पत्थर है। मैंने इसे नाले के पास से उठाया है। आइए, मैं आपको दिखाता हूँ। वहाँ पर ऐसे बहुत सारे पत्थर पड़े हुए हैं। उन्होंने वहाँ से नमूने के तौर पर बहुत सारे पत्थर उठाए, और उन्हें जाँचने-परखने के लिए भेज दिया। वे पत्थर हीरे ही साबित हुए। उन्होंने पाया कि उस खेत में दूर-दूर तक हीरे दबे हुए।
सीख:- जब हमारा नजरिया सही होता है, तो हमें महसूस होता है कि हम हीरों से भरी हुई जमीन पर चल रहे हैं। मौके हमेशा हमारे पावों तले दबे हुए हैं। हमें उनकी तलाश में कहीं जाने की जरूरत नहीं है। हमें केवल उनको पहचान लेना है।