जब लोग आप पर हंसें तो खुद को और चुनौती दें।
इस समय ओलिंपिक ही मेरी जिंदगी का सबसे जरूरी मुकाम है। ये मेरा आखिरी मिशन है। मैं सबकुछ हासिल कर चुकी हूँ, बस कमी ओलिंपिक गोल्ड की है।
ये तोहफा में देश को देना चाहती हूँ। हम एथलीट्स के पास कुछ भी करने के लिए बहुत कम समय होता है। खिलाड़ियों की जिंदगी में बहुत ज्यादा दबाव होता है, प्रदर्शन का, मैडल का, भविष्य का, लेकिन खिलाड़ी प्रशिक्षण से दबाव झेलना सीखता है। हर किसी को दबाव झेलना सीखना चाहिए।
कुछ लोग संसाधनों का रोना रोते रहते हैं। मेरी जिंदगी खुद अभावों से भरी रही। करिअर में अधिकांश समय ना अवसर था, ना स्पॉन्सर्स। मणिपुर जैसे छोटे से राज्य में संसाधन भी नहीं थे। मुझे बॉक्सिंग करता देख, लोग हंसते थे।
लेकिन मैंने खुद को चुनौती देकर उन्हें जवाब दिया। जब कोशिशें जारी रहती हैं, तो बाकी चीजें अपने आप मुमकिन होने लगती हैं। जरूरी ये है कि अभावों और गरीबी के बावजूद ईश्वर पर भरोसा करना न छोड़ें।
अच्छे कल की उम्मीद में ईश्वर ही हमारा सहारा होते हैं। कोविड का ये समय हम सभी के लिए मुश्किल भरा रहा है। इस समय फिट रहकर ही हम सब वायरस से लड़ सकते हैं।
हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिए, ये नहीं सोचना चाहिए कि हम स्वस्थ हैं तो कुछ नहीं होगा। दूसरों की परवाह करना भी जरूरी है।
मेरे पास सफलता की कोई रेसिपी नहीं है। सिर्फ कड़ी मेहनत करें और हर काम में ईमानदारी बरतें। उतार-चढ़ाव आएंगे, लेकिन इसी दौरान आपको अपना फोकस बनाए रखना जरूरी है।
प्रकृति से प्रेरणा ले सकते हैं, कुदरत में ही सही ताकत, धैर्य और शांति है। कुदरत हमें बहुत कुछ सिखाती है, बस ठहरकर उसे महसूस करना और उसे देखना जरूरी है।
मैं देश, लोगों और खेलों में हमारे एथलीटों के सफल होने की उनकी उम्मीदों से प्रेरणा लेती हूं। प्रेरणाएं हर तरफ हैं, बस आप लेना सीख जाएं।
हारने पर बुरा लगता है। हम सभी जीतना चाहते हैं। लेकिन मुझे हमेशा इस बात से प्रेरणा मिलती है कि मुझे देश के लिए कुछ करना है और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देती हूं। मैं जब भी हारती हूं तो और ज्यादा सीखती हूं, ज्यादा मेहनत करती हूं और खुद से कहती हूं कि मैं कुछ कर सकती हूं।
जब लोग कहते थे कि मैं यह नहीं कर सकती, तो मैं इसे चुनौती मानती थी। बॉक्सिंग में अनुशासन बहुत जरूरी है। यह आत्मविश्वास देता है। मुझे यकीन था कि अगर मैं नियमित ट्रेनिंग करूंगी, तो मुझे जीत जरूर मिलेगी। और मैंने जीत हासिल की।
अगर मैं तीन बच्चों की मां होकर मेडल जीत सकती हूं, तो आप भी जीत सकते हैं। बस कभी हार न मानें। अपनों का साथ भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। मुझे अपने परिवार और दोस्तों का बहुत साथ मिला। वे हमें जीत का आत्मविश्वास देते हैं और हारने पर उत्साह बनाए रखते हैं।
अभावों से भी हम सीखते हैं। जब शुरुआती की तो अभावों से सीखा कि मुझे दोगुनी मेहनत करनी होगी। गरीब कभी यह न सोचे कि मेरे पास सुविधा नहीं है, तो मैं कुछ नहीं कर सकता और अमीर यह सोचे कि पैसा है तो मैं कुछ भी कर सकता हूं। मेहनत दोनों को ही करनी होगी।
– विभिन्न भाषणों तथा इंटरव्यू से